Jain dharm gk in hindi |जैन धर्म जनरल नॉलेज विस्तार में पढ़े

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Jain Dharam gk in hindi

जैन धर्म

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Jain Dharm Gk in Hindi

निचे दिए गएjain dharm gk in hindi  के सामान्य ज्ञान विस्तार पूर्ण विवरण में दिए गए है | जिसे आपको पढ़ने और समझने में आसानी होगी

Jain Dharam gk in hindi
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जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर – ऋषभदेव/आदिनाथ थे –

  • जैन अनुश्रुतियों और धार्मिक साहित्य के अनुसार जैनियों का प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को माना गया है।
  • ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में इक्ष्वाकु वंश में माना जाता है।
  • ऋषभदेव का उल्लेख – ऋग्वेद, यजुर्वेद, विष्णुपुराण एवं भगवत पुराण में भी मिलता है। ऋग्वेद में दो जैन तीर्थकरों- ऋषभदेव एवं अरिष्टनेमी का उल्लेख मिलता है।
  • इन्हें इतिहास में आदिनाथ के नाम से जाना जाता है राजस्थान में केसरियानाथ भी कहते हैं।
  • जैन ग्रन्थों में इन्हें ‘मानव सभ्यता का जनक’ कहा जाता है। भागवत पुराण में ’नारायण का अवतार’ कहा जाता है।
  • इन्हें निर्वाण कैलाश पर्वत पर प्राप्त हुआ।
  • ऋषभदेव के 100 पुत्रों में से दो प्रसिद्ध हुए – भरत और बाहुबलि
  • भरत चक्रवर्ती शासक और बाहुबलि तपस्वी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
  • बाहुबलि (गोमतेश्वर) की मूर्ति कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में है। यह भारत की सबसे ऊँची मूर्ति है।

प्रमुख तीर्थंकर निम्म थे  –

  • दूसरे तीर्थंकर – अजितनाथ है, अजितनाथ का उल्लेख यजुर्वेद में मिलता है।
  • आठवें तीर्थंकर – चन्द्रप्रभु का उल्लेख अभिलेखों में मिलता है।
  • नवें तीर्थंकर – पुष्पदत्त का उल्लेख भी अभिलेखों में मिलता है।
  • 19 वें तीर्थंकर – मल्लिनाथ है, श्वेताम्बर परम्परा मल्लिनाथ को स्त्री मानती है।
  • 22 वें तीर्थंकर – अरिष्टनेमि है, इसे श्रीकृष्ण का सम्बन्धी माना जाता है। शौर्यपुर (शौरसेन उत्तर प्रदेश) का राजकुमार बताया है।

    पार्श्वनाथ – 23 वें तीर्थंकर थे –

    • पार्श्वनाथ को जैन धर्म का ऐतिहासिक संस्थापक माना जाता है।
    • इनका जन्म वाराणसी (काशी, उत्तरप्रदेश) में हुआ था। इनकी माता का नाम – वामा और पिता का नाम – अश्वसेन था।
    • ये काशी के इक्ष्वाकु वंशीय अश्वसेन के पुत्र माने जाते हैं।
    • पार्श्वनाथ का काल महावीर से 250 ई. पूर्व माना जाता है।
    • 82 दिन कठोर तपस्या करने के बाद 83 वें दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इनका ज्ञान प्राप्ति के बारे में वर्णन बिजौलिया अभिलेख (भीलवाङा) में मिलता है। जैन अनुश्रुतियों के अनुसार पार्श्वनाथ को 100 वर्ष की आयु में झारखण्ड में गिरिडेह जिले के ’सम्मेद पर्वत’ पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
    • इनका प्रतीक चिह्न साँप था।
    • इनका अन्य नाम ’निगठनाथ’ है। बौद्ध साहित्य में इसे ’निगठनाथ’ कहते है।
    • पार्श्वनाथ के अनुयायी निगठ (निर्ग्रन्थ) कहलाते हैं। त्रिर्ग्रन्थ का अर्थ – बन्धन रहित होता है।
    • पार्श्वनाथ के चार मुख्य उपदेश थे – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह
    • जैन धर्म के 24 वें तिर्थकर एवं अंतिम तिर्थकर महावीर स्वामी हैं।
    • इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहते हैं ।
    • इनके पिता सिद्धार्थ थे, जो ज्ञातृक कुल के राजा थे।
    • इनकी माता त्रिशला थी। जो लिच्छिवी नरेश चेटक की बहन थी ।
    • इनके बड़े भाई नंदीवर्मन थे । इनका जन्म 640 ई.पू. वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था |
    • इनकी पत्नि यशोदा थी । इनकी बेटी प्रियदर्शनी (अन्नोज्या) थी। दामाद जमालि था।

30 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिए। 12 वर्ष के कठोर तपस्या के बाद जाम्भिक ग्राम में एक साल वृक्ष के नीचे ऋजुपालका नदी के तट पर इन्हें ज्ञान की प्राप्ती हुई । ज्ञान प्राप्ती को ‘कैवल्य” कहते हैं । ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्हें कैवलीन, जीन या निग्रोथ कहा गया। जीन का अर्थ होता है, विजेता जबकि निग्रोथ का अर्थ होता है, बंधन से मुक्त

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बौद्ध धर्म से संबधित महत्वपूर्ण प्रश्न

इन्होंने पहला उपदेश राजगीर में दिया था। जबकि अंतिम उपदेश पावापुरी में दिया । ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्होंने पंचायन धर्म दिया जो निम्नलिखित हैं |

(i) झूठ नहीं बोलना

(ii) धन संग्रह नहीं करना (अपरिक्षेय)

(iii) चोरी नहीं करना ( उस्तेव)

(iv) हिंसा नहीं करना

(v) ब्रह्मचर्य (विवाह नहीं करना

महावीर स्वामी ने त्रिरत्न दिए जो निम्न लिखित हैं –

 (i) सम्यक ज्ञान

(iii) सम्यक आचरण

 (ii) सम्यक विश्वास

महावीर स्वामी ने ईश्वर के अस्तित्व को नहीं माना जिस कारण वे मूर्तिपूजा और कर्मकांड का विरोध किए । इन्होंने पुनर्जन्म को माना और पुनर्जन्म का सबसे बड़ा कारण आत्मा को बताया । आत्मा को सताने के लिए इन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ती के बाद पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाएगी।

महावीर स्वामी ने अंहिसा पर सर्वाधिक बल दिया, जिस कारण उन्होंने कृषि तथा युद्ध पर प्रतिबंध लगा दिए । महावीर स्वामी के दिए गए उपदेशों को चौदह पूर्व नामक पुस्तक में रखा गया जो जैन धर्म की सबसे प्राचीन पुस्तक है।

महावीर स्वामी ने अपेन उपदेश प्राकृत भाषा में दिए । 468 ई. पू. पावापुरी में इनकी मृत्यु हो गई ।

भद्रबाहु तथा स्थूलबाहु इनके दो सबसे प्रिय अनुयायी थे। मौर्य काल में मगध पर 12 वर्षीय भीषण अकाल पड़ा जिस कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत में कर्नाटक चले गए। इन्हीं के साथ चन्द्रगुप्त मौर्य आया था । जिसने कर्नाटक के श्रवण बेलगोला में संलेखना से प्राण त्याग दिये । इस भीषण अकाल में भी स्थूलबाहु तथा उसके अनुयायी मगध में ही रूके रहे। जब अकाल खत्म हो गया तो भद्रबाहु मगध लौट आया। किन्तु इन दोनों में विवाद हो गया।

भद्रबाहु के नेतृत्व वाले लोग निर्वस्त्र रहते थे, जिन्हें दिगम्बर कहा गया। जबकि स्थुलाबाहु के नेतृत्व वलो लोग श्वेत वस्त्र पहनते थे । जिसे श्वेताम्बर कहा गया ।

जैन धर्म के विस्तृत प्रचार के लिए 2 जैन संगितीयाँ हुई हैं।

पहली जैन संगिती 300 ई.पू. पाटलीपुत्र में हुई जिसकी अध्यक्षता स्थूलबाहु ने किया। उसी में भद्रबाहु ने 12 अंग नामक पुस्तक की रचना की|

द्वितीय जैन संगिती- यह छठी शताब्दी में गुजरात के वल्लभी में हुई । उसकी अध्यक्षता देवाधिश्रमण ने किया। उसी संगिती में 12 उपांग की रचना की गई ।

1. प्रथम जैन संगीति कब हुई  ?

शासक – चन्द्रगुप्त मौर्य
स्थान – पाटलिपुत्र
अध्यक्ष – स्थूलभद्र
उपलब्धि – 12 देन की रचना
जैन धर्म के समुदाय – दिगंबर और श्वेताम्बर।

2. द्वितीय जैन संगीति कब हुई  ?

शासक – खारवेल
स्थान – सुपर्वत (उदयगिरी, उङीसा)
उपलब्धि – 12 अंगों पर पुनर्विचार

3. तृतीय जैन संगीति कब हुई  ?

स्थान – वेणाकतटीपुर (आन्ध्र प्रदेश) वेणाक नदी के किनारे
अध्यक्ष – अरहदवल्लि

4. चतुर्थ जैन संगीति कब हुई  ?

स्थान – 1. वल्लभी (गुजरात) अध्यक्ष नागार्जुन सूरी
2. मथुरा (उत्तर प्रदेश) अध्यक्ष – स्केदिल
समय – 300-313 ए डी (ईस्वी) में

5. पंचम जैन संगीति कब हुई  ?

स्थान – वल्लभी
समय – 513-526 ए डी (ईस्वी)
अध्यक्ष – देवर्धिश्रमन
उपलब्धि – 12 आगमों की रचना।

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जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए और उनके प्रतीक चिन्ह निम्नलिखित है –

  24 तीर्थंकरों के नाम   प्रतीक चिह्न
(1) ऋषभदेव सांड
(2) अजितनाथ हाथी
(3) सम्भवनाथ घोङा
(4) अभिनन्दन नाथ कणी
(5) सुमतिनाथ सारस
(6) पदमप्रभु कमल
(7) सुपार्श्वनाथ स्वास्तिक (महत्त्वपूर्ण)
(8) चन्द्रप्रभु चन्द्र
(9) सुविधिनाथ मकर
(10) शीतल नाथ श्रीवत्स
(11) श्रेयांसनाथ गैंडा
(12) वासुपूज्य नाथ भैंस
(13) विमलनाथ सूकर
(14) अनंतनाथ बाज
(15) धर्मनाथ वज्र
(16) शान्तिनाथ हिरन
(17) कुंथुनाथ बकरा
(18) अरनाथ नन्धावर्त
(19) मल्लिनाथ पिचर कलश
(20) मुनिसुव्रत कच्छप
(21) नेमिनाथ नीलकमल
(22) अरिष्टनेमि शंख
(23) पार्श्वनाथ सर्प
(24) महावीर स्वामी सिंह

जैन धर्म से संबधित महत्वपूर्ण प्रश्न-

  • महावीर स्‍वामी का जन्‍म कहाँ हुआ था – कुण्‍डग्राम में
  • महावीर स्‍वामी का जन्‍म किस क्षेत्रीय गोत्र में हुआ था – जांत्रिक
  • महावीर की माता कौन थी – त्रिशला
  • महावीर का मूल नाम था – वर्धमान
  • महावीर की मृत्‍यु कहाँ हुई थी – पावापुरी
  • जैनियों के पहले तीर्थंकर कौन थे – ऋषभदेव
  • जैन परम्‍परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थंकर हुए – 24
  • जैन परम्‍परा के अनुसार महावीर कौन-से तीर्थंकर थे – चौबीसवें
  • जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण – सार्वभौमिक सत्‍य से हुआ है
  • जैन समुदाय में प्रथम विभाजन के श्‍वेताम्‍बर सम्‍प्रदाय के संस्‍थापक थे – स्‍थूलभद्र
  • जैन तीर्थंकर पार्श्‍वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में महावीर स्‍वामी ने पाँचवे महाव्रत के रूप में क्‍या जोड़ा – ब्रह्म्‍चर्य
  • भगवान महावीर का प्रथम शिष्‍य कौन था – जमालि
  • त्रिरत्‍न सिद्धान्‍त – सम्‍यक् धारणा, समयक चरित्र, सम्‍यक ज्ञान- जिस धर्म की महिमा है, वह है – जैन धर्म
  • दिलवाड़ा के जैन मन्दिरों का निर्माण किसने करवाया था – चौलुक्‍यों/सोलंकियों ने
  • स्‍यादवाद सिद्धान्‍त है – जैन धर्म का
  • कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रन्‍थ कहलाता है – चौदह पूर्व
  • जैन साहित्‍य को कहा जाता है – आगम
  • जैन ग्रन्‍थ ‘कल्‍प सूत्र’ के’ रचियता है – भद्रबाहु
  • अनेकांतवाद किसका क्रोड़ (केन्‍द्रीय) सिद्धान्‍त एवं दर्शन है – जैन मंत
  • महान् धार्मिक घटना ‘महामस्‍तकाभिषेक’ किससे सम्‍बन्धित है और किसके लिए की जाती है – बाहुबली
  • प्रथम जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था – पाटलिपुत्र
  • द्वितीय जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था – वल्‍लभी
  • जैन साहित्‍य का संकलन किस भाषा व लिपि में है – प्राकृत व अर्धमागधी
  • कौन बुद्ध के जीवन काल में ही संघ प्रमुख होना चाहता था – देवदत्‍त
  • हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है – केवल वासुदेव से
  • आजीवक सम्‍प्रदाय के संस्‍थापक कौन थे – मक्‍खलि गोसाल
  • भागवत सम्‍प्रदाय के विकास में किसका योगदान अत्‍यधिक था – हिन्‍द-यूनानी
  • वासुदेव कृष्‍ण की पूजा सर्वप्रथम किसने प्रारम्‍भ की – सात्‍वतों ने
  • प्राचीनतम विश्‍वविद्यालय कौन-सा था – नालंदा

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