मानव शरीर में अनेक महत्वपूर्ण तंत्र कार्यरत होते हैं, जिनमें से परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) शरीर का एक ऐसा तंत्र है जो हृदय, रक्त और रक्त वाहिकाओं के सहयोग से संपूर्ण शरीर में रक्त और पोषक तत्वों का संचार करता है। यह तंत्र शरीर के हर अंग और कोशिका तक ऑक्सीजन और पोषण पहुँचाने के साथ-साथ अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।
परिसंचरण तंत्र क्या है?
परिसंचरण तंत्र एक जटिल व्यवस्था है, जिसमें हृदय (Heart), रक्त (Blood) और रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) मिलकर शरीर के भीतर रक्त का प्रवाह बनाए रखते हैं। यह शरीर के तापमान को संतुलित रखने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और विभिन्न हार्मोन व एंजाइम को उनके लक्ष्य तक पहुँचाने में मदद करता है।
मानव शरीर में परिसंचरण तंत्र का महत्व

परिसंचरण तंत्र का मुख्य कार्य ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाना है। इसके साथ ही यह शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को निकालकर उन्हें उत्सर्जन तंत्र तक पहुँचाता है। यह तंत्र शरीर की प्रत्येक क्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक है।
यदि परिसंचरण तंत्र में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है, तो इसका प्रभाव पूरे शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। इसी वजह से परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत गंभीर माने जाते हैं।
कोशिकाओं के विभाजन की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझने के लिए हमारा यह लेख देखें — Cell Division in Hindi।
परिसंचरण तंत्र कैसे कार्य करता है?
इस तंत्र में हृदय एक पंप की तरह कार्य करता है, जो ऑक्सीजन युक्त रक्त को धमनियों (Arteries) के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है और ऑक्सीजन रहित रक्त को शिराओं (Veins) के माध्यम से हृदय तक वापस लाता है। इसके पश्चात रक्त को फेफड़ों तक भेजा जाता है, जहाँ यह पुनः ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर करता है।
यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और इसी व्यवस्था को परिसंचरण तंत्र कहा जाता है। रक्त वाहिकाओं का यह जाल पूरे शरीर में फैला होता है, जिससे प्रत्येक अंग को आवश्यक पोषण और ऑक्सीजन मिलती रहती है।
परिसंचरण तंत्र के अंग (Parts of Circulatory System)
मानव शरीर में परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) एक जटिल लेकिन अत्यंत आवश्यक व्यवस्था है, जो शरीर के प्रत्येक भाग में ऑक्सीजन, पोषक तत्व, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थों का संचार करती है। यह तंत्र मुख्यतः तीन भागों में बाँटा गया है — हृदय (Heart), रक्त (Blood) और रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels)। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं:

हृदय (Heart)
हृदय मानव शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो लगातार रक्त पंप करने का कार्य करता है। यह मांसपेशियों से बना एक खोखला अंग होता है, जो छाती के बीच में स्थित रहता है। हृदय का कार्य शरीर के प्रत्येक अंग और ऊतक तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुँचाना और ऑक्सीजन रहित रक्त को वापस फेफड़ों तक भेजना है। हृदय चार मुख्य कक्षों में बँटा होता है:
- दायीं अलिंद (Right Atrium)
- बायीं अलिंद (Left Atrium)
- दायीं निलय (Right Ventricle)
- बायीं निलय (Left Ventricle)
रक्त (Blood)
रक्त शरीर में जीवनदायिनी तरल प्रणाली है, जो ऑक्सीजन, पोषक तत्व और हार्मोन को शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाता है। इसके अलावा यह कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। रक्त मुख्य रूप से दो घटकों से मिलकर बना होता है:
- प्लाज्मा (Plasma): तरल भाग
- रक्त कोशिकाएं (Blood Cells): RBC, WBC और प्लेटलेट्स
रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels)
रक्त वाहिकाएं वह नलिकाएं हैं, जिनके माध्यम से रक्त पूरे शरीर में संचरित होता है। ये तीन प्रकार की होती हैं:
धमनियां (Arteries)
धमनियां वे रक्त वाहिकाएं हैं, जो हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाती हैं। ये मोटी और लोचदार होती हैं, ताकि उच्च दबाव में भी रक्त को आगे बढ़ाया जा सके।
शिराएं (Veins)
शिराएं हृदय तक ऑक्सीजन रहित रक्त को वापस लाने का कार्य करती हैं। इनमें रक्त का दबाव कम होता है और इनमें एक-तरफा वाल्व होते हैं, जो रक्त को केवल हृदय की ओर ही प्रवाहित होने देते हैं।
केशिकाएं (Capillaries)
केशिकाएं सबसे पतली और सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो धमनियों और शिराओं को आपस में जोड़ती हैं। इन्हीं के माध्यम से कोशिकाओं तक ऑक्सीजन, पोषक तत्व और अपशिष्ट पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।
परिसंचरण तंत्र के यह सभी अंग मिलकर शरीर में निरंतर रक्त संचार बनाए रखते हैं। यदि इनमें किसी भी अंग में विकृति उत्पन्न होती है, तो व्यक्ति परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) का शिकार हो सकता है, जो कि शरीर के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है।
परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रमुख रोग
मानव शरीर का परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) हृदय, रक्त और रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में रक्त, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का संचार करता है। यदि इस तंत्र में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है, तो इससे शरीर की अनेक क्रियाएँ प्रभावित हो सकती हैं। ऐसे ही कुछ रोग जिन्हें अंग्रेज़ी में परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) कहा जाता है, आज के समय में बहुत सामान्य होते जा रहे हैं। इनमें से दो प्रमुख रोगों की जानकारी नीचे दी गई है:
1. हृदय धमनी रोग (Coronary Artery Disease – CAD)
विवरण:
हृदय धमनी रोग में हृदय को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों में प्लाक (चर्बी, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का जमाव) जमा हो जाता है। इससे धमनियाँ संकरी हो जाती हैं और रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। परिणामस्वरूप हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे एंजाइना (सीने में दर्द) और गंभीर स्थिति में हार्ट अटैक तक हो सकता है।
लक्षण:
- सीने में दबाव या दर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- अत्यधिक थकान
- कभी-कभी जबड़े, गर्दन या बांह में दर्द
जोखिम कारक:
- उच्च रक्तचाप
- धूम्रपान
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- मधुमेह
- मोटापा
- अधिक तनाव
2. उच्च रक्तचाप (Hypertension)
विवरण:
जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है और लंबे समय तक ऐसा बना रहता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यह मस्तिष्क, हृदय और गुर्दों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुँचा सकता है। यह रोग कई बार बिना लक्षण के भी होता है, इसलिए इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है।
लक्षण:
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- थकान
- दृष्टि में धुंधलापन
- सांस लेने में परेशानी
जोखिम कारक:
- अस्वास्थ्यकर खानपान
- शारीरिक गतिविधि की कमी
- अत्यधिक तनाव
- अधिक नमक का सेवन
- आनुवंशिक कारण
3. परिधीय धमनी रोग (Peripheral Artery Disease – PAD)

विवरण:
इस रोग में शरीर के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर पैरों की धमनियों में संकुचन आ जाता है। धमनियों में प्लाक जमने के कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुँच पाते। इससे धीरे-धीरे अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
लक्षण:
- चलते समय पैरों में तेज़ दर्द या ऐंठन
- पैरों का सुन्न होना या ठंडा महसूस होना
- घाव भरने में देर लगना
- त्वचा का रंग फीका या नीला पड़ना
जोखिम कारक:
- धूम्रपान
- मधुमेह
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- मोटापा
- उम्र बढ़ना
4. आघात (Stroke)
विवरण:
जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अचानक बाधित हो जाता है या मस्तिष्क की रक्त वाहिका फट जाती है, तो उसे स्ट्रोक या आघात कहते हैं। इससे मस्तिष्क कोशिकाएँ ऑक्सीजन की कमी से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, और यदि समय रहते इलाज न हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
लक्षण:
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता (अक्सर शरीर के एक ओर)
- बोलने या समझने में कठिनाई
- दृष्टि धुंधली होना
- अचानक चक्कर आना या संतुलन बिगड़ना
जोखिम कारक:
- उच्च रक्तचाप
- हृदय रोग
- मधुमेह
- धूम्रपान
- अधिक शराब का सेवन
5. महाधमनी का बढ़ जाना (Aneurysm)
विवरण:
महाधमनी या अन्य बड़ी धमनियों की दीवार पर जब दबाव बढ़ता है, तो उसमें गुब्बारे जैसे उभार (aneurysm) बन जाते हैं। यदि यह फट जाए, तो आंतरिक रक्तस्राव होने से स्थिति जानलेवा हो सकती है।
लक्षण:
- शुरुआती अवस्था में कोई विशेष लक्षण नहीं
- फटने पर तीव्र और असहनीय दर्द
- तेज़ रक्तस्राव
जोखिम कारक:
- लगातार उच्च रक्तचाप
- धूम्रपान
- आनुवंशिक कारण
- वृद्धावस्था
हृदय विफलता (Heart Failure)
विवरण:
इस स्थिति में हृदय शरीर की जरूरत के अनुसार रक्त पंप नहीं कर पाता। इससे अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुँच पाते। यह कई परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) में सबसे गंभीर अवस्था मानी जाती है।
लक्षण:
- सांस लेने में तकलीफ
- सामान्य कार्य करने में थकान
- पैरों और टखनों में सूजन
- तेजी से वजन बढ़ना
जोखिम कारक:
- कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD)
- अनियंत्रित उच्च रक्तचापमधुमेह
- पूर्व स्ट्रोक का इतिहास
7 एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस (Erythroblastosis Fetalis)

विवरण:
यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक गंभीर रक्त संबंधी विकार है, जो तब होता है जब Rh- रक्त समूह वाली महिला के गर्भ में Rh+ रक्त समूह वाला शिशु होता है। इससे शिशु के रक्त में असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है।
लक्षण:
- गर्भावस्था में शिशु की मृत्यु
- जन्म के बाद तीव्र पीलिया
- शिशु का सुस्त या कमजोर रहना
- गंभीर मामलों में अंगों का फूलना
जोखिम कारक:
- माता-पिता के रक्त समूह में Rh असंगतता
- पिछली गर्भावस्था में Rh+ शिशु का जन्म
- पर्याप्त चिकित्सकीय देखभाल की कमी
परिसंचरण तंत्र रोगों के सामान्य जोखिम कारक
परिसंचरण तंत्र, जो हृदय, रक्त और रक्त वाहिकाओं से मिलकर बना होता है, पूरे शरीर में पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुँचाने का काम करता है। जब इस तंत्र में कोई गड़बड़ी होती है, तो कई गंभीर बीमारियां जन्म लेती हैं, जिन्हें हम परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) कहते हैं। ऐसे रोगों के उत्पन्न होने के कई सामान्य कारण होते हैं। आइए जानते हैं किन-किन जोखिम कारकों से इन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
परिसंचरण तंत्र रोगों के कारण (Causes of Circulatory System Diseases)
परिसंचरण तंत्र, जो हृदय, रक्त और रक्त वाहिकाओं से मिलकर बना होता है, पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुँचाने का कार्य करता है। जब इस तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है, तो व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इन बीमारियों को मेडिकल भाषा में परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) कहा जाता है। आइए जानते हैं, किन कारणों से ये रोग विकसित होते हैं:
परिसंचरण तंत्र रोगों के लक्षण (Symptoms)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) के लक्षण व्यक्ति की स्थिति और रोग की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
परिसंचरण तंत्र रोगों की जाँच (Diagnosis)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) की पहचान के लिए विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं:
परिसंचरण तंत्र रोगों का उपचार (Treatment)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) के उपचार में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
परिसंचरण तंत्र रोगों की रोकथाम (Prevention)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
निष्कर्ष : परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं, जो शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करते हैं, जैसे हृदय, मस्तिष्क, और गुर्दे। इन रोगों में समय पर पहचान और उपचार न होने पर ये जीवन के लिए खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। हालांकि, अगर हम इन रोगों के लक्षणों को सही समय पर पहचानें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तो इनसे बचाव संभव है।
नियमित शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार, तनाव प्रबंधन, और नियमित स्वास्थ्य जांच इन रोगों की रोकथाम और उनके प्रभावों को कम करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति को पहले से परिसंचरण तंत्र से संबंधित कोई रोग है, तो उसे चिकित्सक से नियमित परामर्श और उचित उपचार की आवश्यकता है।
साथ ही, परिवार में किसी को इन रोगों का इतिहास होने पर अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। सही समय पर निदान और चिकित्सा हस्तक्षेप से हम इन रोगों की गंभीरता को कम कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं।
इस प्रकार, परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग (diseases related to circulatory system) से बचाव और उपचार की सही रणनीति अपनाकर हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और इनसे संबंधित गंभीर जोखिमों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग क्या होते हैं?
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोग वे रोग होते हैं जो हृदय, रक्त वाहिकाओं और रक्त के प्रवाह से जुड़ी समस्याओं के कारण होते हैं, जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और आघात (stroke)।
परिसंचरण तंत्र के रोगों के प्रमुख लक्षण क्या होते हैं?
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोगों के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, थकान, सिरदर्द, चक्कर आना, और पैरों में सूजन शामिल हैं।
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोगों के कारण क्या होते हैं?
इन रोगों के कारणों में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, धूम्रपान, मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, और आनुवंशिक कारण शामिल हैं।
परिसंचरण तंत्र से संबंधित रोगों का उपचार कैसे किया जाता है?
इन रोगों का उपचार दवाइयों, सर्जरी, जीवनशैली में बदलाव और नियमित चिकित्सा जांच के माध्यम से किया जाता है।
परिसंचरण तंत्र के रोगों से बचने के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान से बचाव, शराब का सेवन न करना, तनाव कम करना, और वजन नियंत्रित रखना, इन रोगों से बचने के महत्वपूर्ण उपाय हैं।
क्या परिसंचरण तंत्र के रोगों का इलाज पूरी तरह से संभव है?
हालांकि कई परिसंचरण तंत्र के रोगों का इलाज संभव है, लेकिन समय पर पहचान और उचित उपचार के बिना इनका प्रभाव गंभीर हो सकता है। सही समय पर इलाज से रोगों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।